जब बट गए साहित्य Poetry Literary on Hindi

Poetry Literary on Hindi

 जब बट गए साहित्य

सियासत में

एक समर्थन में

एक नफ़रत में

सत्य वहां तड़पते हैं

ऐसे साहित्यकारों की

रचनाओं में

कविताओं की कोमलता

क्षीण हो जाती है

कर्कश और व्यंग्य में

क्या दिशा देगी ऐसे लोग

अपने शब्दों में !!!

Poetry Literary on Hindi

चुन-चुन कर

शब्द लाएं

सच पर आधात लगाएं

किसी बड़े साहित्यकार के बोल

उठाकर एक हिस्सा

छुपा कर कुछ किस्सा

प्रस्तुत कर दिए

विचार

किसी एजेंडे पर सेट करके

कह दिए

मेरा विचार नहीं है

महान पुरुष का है

चुपचाप

अपनी दूषित मानसिकता को !!!

वो लेखक, कवि कहां थे

वो तो सियासत करने आए थे

छिपकर बैठ गया है

आघात करने आए थे !!!


तुम्हें थकाकर चला गया

कुछ का कुछ बताकर चला गया

तुम समझते थे महान

अपना एजेंडा बताकर चला गया !!!

वो लेखक, कवि थे

लेकिन उससे पहले वो आदमी थे

उतने ही जितने

साधारण आदमी

जो देख नहीं पाते हैं

अपने प्रेम में

अपनों की बुराई

देख पाते हैं तो केवल

अच्छाई

अभी निष्पक्ष नहीं हुआ था

केवल अपने-अपने को छुआ था

और उसे लगा कि साहित्यकार हैं

उसकी बातें सभी को माननी चाहिए

इतने साधारण थे

वो कवि लेखक !!!!

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