पिता की आँखें poem-on-fathers-day-meregeet

पिता घर का संरक्षण कर्ता है, रक्षक कर्ता है ।poem-on-fathers-day- खुशियों को हर हाल में अपनों के बीच ला कर रख देता है । चाहे उसे कितने भी कष्ट सहना पड़े । परवाह नहीं करता है । लेकिन अपने लिए कुछ नहीं चाहता है । सिवाय अपने खुश रहे । पिता पर कविता हिन्दी में 👇👇

poem-on-fathers-day meregeet 

पिता की आँखें समझती हैं

अपने आँगन का सूनापन 

पिता की आँखें निहारती हैं

हर चेहरे का दर्द भरे मन 

दरवाजे की चौखट से

आते हो कदमों को

आने वाले कल को

पहचानती है उसकी ऑंखें

हर आहट पे झांकें

इसलिए जिम्मेदारी से लद जाते हैं 

अपना हर दर्द छुपा जाते हैं

पिता की ऑंखें !!!!

fathers-day


पिता की आंखें

जब भी निहारती है

घर के भीतर

अपने का दुःख, दर्द

पाता है

हृदय कशक, तड़प जाता है

और पिता की आंखें

आंखें तलाशने लगती है

उनकी खुशियां

जहां मिल जाए

कुछ भी कर जाए

पिता की आंखें !!!


पिता की आंखें

अंतिम समय पर डंडा ने लें ली

वो जब भी चलते हैं

सहारा लेते हैं

एक बेटा से बढ़कर

बेशक कांधे पर हाथ न रखने दें

लेकिन लाठी साथ-साथ रहते हैं

सोने और जागने से पहले !!!


पिता की आंखें

ढूंढ लेती है

घर का हर एक कोना

लेकिन नहीं जाती

सभी कोनों में

अपने कोने को छोड़कर !!!!

पिता गणित है 

सोच विचार में समाहित 

बुद्धि से 

समस्या का हल ढूंढते हुए 

जिसमें आंनद नहीं है 

लेकिन जीवन सरलता से 

जीया जा सकता है!!!


कठिन विषयों का बेहतर जवाब है 

पिता 

जिसकी आंखें 

भविष्य की समस्याओं को 

हर कदम पर 

पहचान जाते हैं !!!!

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-राजकपूर राजपूत

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