ज़रा महसूस तो करो poem of love- Ahasas

poem of love- Ahasas 

 ज़रा महसूस तो करो

हवाओं के स्पर्श को 

बदन में

उसकी शीतलता को

बिखरी हुई फूलों की खुशबूओं को

अपनी साॅंसों में

समेट लो

सौंधी-सौंधी मिट्टी की खुशबूओं को

कभी एकांत में

तो तुम्हें निश्चित ही

नीरसता नहीं छाएगी

जीवन में

पूर्णता का अहसास होगा

स्वयं के अस्तित्व का भास होगा

कण कण में आनंद होगा

जब ऐसी दृष्टि होगी !!!

अहसास अपना 

जरा महसूस तो करो

पेड़ों की कीमत

जिसे तुमने किसी के कहने

एक दिवस के रूप में

पेड़ लगा रहे हो

यदि समझ जाते

पेड़ों की कीमत 

तो तुम

दिवस में याद नहीं करते कभी 

हमेशा याद रहता तुम्हें

जिसे किसी के कहने पर

नहीं रोपते पौधे

तुम स्वयं प्रेरित होते !!

दूसरों का अहसास 

बहुत चीजों को

दुसरों के बताए अनुसार

जीने की आदत है तुम्हारी

इसलिए मनाते हुए

सालगिरह, जन्मदिन

अपने या फिर दूसरों का

जिसके लिए तिथि, तारीख

याद रखते हो

नहीं याद रखते हो

तो रिश्तों की अहमियत

क्या तुम कभी सोचे हो

इतने खास है

तुम्हारे दिवस !!!!

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