पैसों वाली खुशी का क्या भरोसाGhazal on money

Ghazal on money

 पैसों वाली खुशी का क्या भरोसा

आज है कल का क्या भरोसा

पैसे क्या आए लोग तारीफ करने लगे

धन का है या उसका क्या भरोसा

घर की तख्ती में लिखा था सावधान कुत्तों से

ऐसे घर के आदमी और कुत्तों का क्या भरोसा

हॉं, दौलत की गरमी दिखा सकते हो

जलाते या जलते हो इसका क्या भरोसा

यकीन मानो सुकून होता तो प्रदर्शन न होता

अंदर से बैचैन या शांत हो क्या भरोसा

तुम्हें अभी जीना नहीं आया है

खुद का नजरिया है या दूसरों का क्या भरोसा

अभिव्यक्ति विद्वत्ता नहीं है

वाचाल हो या समझदार क्या भरोसा

शिक्षित होने का ढोंग भी अजीब है

बिन मांगे सलाह मशवरा का क्या भरोसा  ???

Ghazal on money

किसका विचार

किसका ज्ञान

सियासत हो

यदि पहचान

अपनापन से नहीं कहें

बहलाने फुसलाने का रखें ध्यान

बेचारे से तब तक

एजेंडा सिद्ध न हो

तब तक अनजान

रहना सावधान

सचेत रहना

निरंतर ज्ञान !!!!


पैसों का ज्ञान

अपनों से अनजान

प्रेम से अनभिज्ञ

जब हो पैसों में

जान !!!

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