poem-on-memory- मेरी स्मृति - तेरी यादों के इर्दगिर्द घूमती है । जिसे मैं सजाता हूं । संसार के खालीपन में । भूलना नहीं चाहता एक पल भी । गर भूल जाऊं तो विचलित हो उठता है मन मेरा । तलाशने लगता है । संसार में कमी । जब तक तुम मेरी स्मृति में आकर न ठहर जाओ । तब तक भटकता है । इस संसार में मेरा मन, मेरी स्मृति । तुम्हारी तलाश में ।
poem-on-memory
शायद मैं
अपनी स्मृति में
कुछ भूल रहा हूॅं
चल रहा हूॅं
लेकिन कुछ ढ़ूॅंढ़ रहा हूॅं
रूक-रूक के
मेरी बैचेनी बढ़ जाती है
मेरी यादें
मुझसे लड़ जाती है
और अचानक
अपनी स्मृति में
लाकर तेरा नाम
ठहरता जाता हूॅं
इस तरह आराम पाता हूॅं
अपनी स्मृति में
तुम जब भी आते हो
मेरी स्मृति में
संसार में नीरसता छा जाती है
और तुम मुझे भा जाती हो
सुकून बनकर
जिसे छोड़ना नहीं चाहती है
मेरी स्मृति !!!!
तुम जिस दिन
कहना सीख जाओगे
सही मायने में
शिक्षित बन जाओगे
कहने के लिए
घोषणाओं की जरूरत होती है
तुमने अभी तक
घोषणा नहीं की है
दिल रखने के लिए
तुम झूठी मुस्कान देती हो
कई बार !!!!
मेरी स्मृति में
हू-ब-हू तेरा सामने आना
मुझे लगता है
एक पूरे संसार को पाना !!!
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