वो जानता था poem on life

खुद की गलतियां जानते हुए भी खुद को गलत न कहना - स्वयं की मुर्खता होगी या फिर सबसे समझदार होने का घमंड । जो अपने आप को सबसे अधिक समझदार होने का भ्रम पाले हुए होते हैं । वहीं लोग अपनी गलतियों को भी अच्छा कहने की बातें करते हैं । उसके कारण देते हैं कि वे अमुक कारण से ऐसा किया है या फिर अपनी गलतियों को जरूरी समझते हैं ।या मजबूरी । उसे आदत में शामिल कर लेते हैं । जिससे उसे खुद की गलतियां दिखाई नहीं देती है । जैसे एक शराबी महंगाई के बारे में बहुत चिंता करते हैं लेकिन अपनी शराब को जरूरी मानते हैं । टमाटर की कीमत बीस रूपया है तो भी वह हाय-तौबा करते हैं । लेकिन शराब के खर्चे की चर्चें नहीं करेंगे । बच्चे दस रूपए मांग लेंगे तो चिल्लाने लगगे । पैसे पेड़ पर नहीं उगते हैं ।

poem on life

ठीक उसी तरह से कुछ लोग अपनी गलतियों को मानते हैं । लेकिन उसमें पर्दा डालते हैं ।स्व घोषित महान् हस्ती होते हैं । जो अपनी बुराई को उजूल फिजूल तर्कों से सही साबित करते हैं । और आत्मसंतुष्ट हो जाते हैं । भले दुनिया कुछ भी समझें ।

 वो जानता था

वो गलत है

फिर गलती करते थे

उसके पास उदाहरण था

जमाने भर के

जिससे प्रेरित था

अनैतिक कार्य करने के लिए

दुनिया व्यस्त थी

इसी कर्म में

खुद में

जिसमें वो भी शामिल था

चुपके से

गलत कार्य

करने के लिए  

जमाने का समर्थन लेकर !!!!


जीवन कविता नहीं है 

प्रयोगशाला है 

कुछ तथाकथित वैज्ञानिकों की तरह 

जो आजमाते रहते हैं 

अपने मतलब को 

जिस ज़्यादातर सफल हो जाते हैं 

असफल हुए तो छोड़ देते हैं 

प्रोजेक्ट को !!!!

इन्हें भी पढ़ें 👉 मीठी-मीठी बातें अब न बोल 

Reactions

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ