Ghazal hindi Thinking of People
जब खुल जाती है पोल
तब मुंह से न कुछ बोल
तेरी फ़ितरत ही ऐसी है
जैसे ढोल में एक पोल
अब दुनिया जान चुकी है
तेरे प्यार में है नफ़रत का झोल
सियासत से छुपा लिए इरादे
मीठी-मीठी बातें अब न बोल !!!
Ghazal hindi Thinking of People
उसे ऊंची जाति से तकलीफ़ थी
इसलिए उसके दिल में नफ़रत थी
कभी देख नहीं पाया गलती किसकी
अपनों को बुरा भी सदा अच्छा
गैरों की अच्छी भी बुरी थी
शिक्षा में इस तरह शिक्षित हुए
तर्क में फर्क अपनों के हिसाब से सियासत अच्छी थी !!!!
इन्हें भी पढ़ें 👉 कुछ बातें होंठों पे
0 टिप्पणियाँ