ghazal on love
अधिकार ही कहां था मेरा तुझ पर
सदा अपनी मर्जी चलाएं तुने मुझ पर
तुम चले गए बेवजह मुझे छोड़कर
फिर भी मैंने सवाल नहीं उठाए तुझ पर
यही सोचता हूॅं तेरी खुशी में मेरी खुशी है
फिर क्यों ये दिल धड़कता है तुझ पर
तुझे जीना नहीं आया है अभी
सुकून मिलता है प्यार की राह पर
इश्क की राह पर चलना सीखा है
प्यार आया है मुझे सिर्फ तुम्हीं पर
ये कौन आया चुपके-चुपके, चोरी-चोरी
होश नहीं ख़्याल नहीं है दिलोजान पर !!!
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