गुस्सा article on anger

 गुस्सा तो होना चाहिए ।article on anger वरना लोग बेवकूफ समझेगे । शोषण करेंगे । सीधे बैल को सभी दो लाठी मारकर चले जाते हैं । बदमाश,, असभ्य लोगों से सब डरते हैं । आदर करते हैं । चापलूसी करते हैं । तुष्टीकरण की नीति अपनाते हैं । उसके लिए ।जब तक अहमियत असभ्य लोग न दें । वर्ना मुर्खों की अपनी ताकत होती है । 

article on anger

मुर्ख अपने समूह जल्दी बना लेते हैं लेकिन बुद्धिमान मुश्किल से । मुर्खों को जैसा पढ़ाया जाता है । वे वैसे बन जाते हैं । आजकल के जमाने में तो लोग बहला फुसलाकर मुर्ख बनाते हैं । मुर्ख बना कर भीड़ का रूप दे देते हैं । जिसके सामने कोई कुछ भी नहीं कर पाते हैं । जबकि इसके विपरित विद्वान और चिंतनशील व्यक्तियों का समूह बनना बहुत कठिन है । सोच विचार इतना करते हैं कि आपसी तालमेल नहीं बैठा पाते हैं ।‌‌‌‌‌‌‌राय भिन्न-भिन्न होती हैं । जिसके वजह से ये लोग कभी भी समूह बनाकर अपना विरोध या गुस्सा प्रगट नहीं कर पाते हैं । जितना मुर्खों का समूह । और इसी उग्रता की वजह से मनमाफ़िक बदलाव कर लेते हैं । 

मुर्खों का समूह और गुस्सा 

जो सही समय पर गुस्सा जाहिर नहीं कर पाते हैं । अक्सर उपेक्षित होते रहते हैं । गुस्सा मन के भावों को जाहिर करने का जरिया है । जिसे समय-समय पर प्रदर्शित करना पड़ता है । उसके सामने वाले उसे बार-बार पुनरावृत्ति करते हैं  । यही सोच कर कि वह सही कर रहा है । यदि एक बार गुस्सा प्रगट कर दिया जाता है तो फिर वह कभी ऐसी ग़लती नही करते हैं । 

गुस्सा का सही प्रयोग करना भी अपने अस्तित्व की पहचान बनाती है । जिसे बुद्धिमत्ता के साथ प्रयोग करना चाहिए । 

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