शायद मैं दिल का अभी कच्चा हूॅं

Ghazal Social -Hindi Child and Elder 

 मेरी तारीफ़ में सब कहते हैं

मैं सबसे अच्छा हूॅं

मगर लूट के चले जाते हैं सभी

जैसे मैं कोई बच्चा हूॅं

समझे नहीं मीठी बातों में कातिल है

शायद मैं दिल का अभी कच्चा हूॅं !!!

Ghazal Social -Hindi Child and Elder

अभी-अभी आम के पेड़ों पर

बौर आए थे

फूल झड़ कर

छोटे-छोटे फल आए थे 

जो आकर्षित कर रहे थे

बच्चों को 

कुछ मस्ती में

पत्थर चलाते थे

छोटे-छोटे फल गिर जाएंगे

खाने का स्वाद मिल जाएगा

जो बच्चे डर रहे थे

बग़ीचे के मालिक से 

वो आंधियों के लिए

विनती कर रहे थे

सोच रहे थे

तेज़ आंधी

झझकोर देगा

फर गिर आएंगे 

कितना मज़ा आएंगे

स्वाद लेकर

कुछ अधिक संख्या

इकट्ठे कर

खुश था

जो नहीं जानता था

सही समय 

फल बड़ा होगा

जिसे बेचकर

बहुत चीजें खरीदीं जा सकती है 

लेकिन बड़े लोग जानते हैं

इसलिए बचाते हैं

बाजार के लिए

जहां से पैसा मिलेगा

बड़े और छोटे बच्चों में

यही अंतर है

बाजार के लिए जीना

या फिर मस्ती के लिए !!!!

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