स्त्री पुरुष का प्यार man and woman love article

 स्त्री पुरुष का प्यार जिसे सभी पवित्र मानते हैं  । man and woman love article  जो है भी । अक्सर आकर्षण के साथ शुरू होते हैं  । मजेदार बात ये है कि इसकी उत्पत्ति यौन भावनाओं की उत्पत्ति के साथ ही होती है  । भले ही लोग इसे किसी पवित्र रिश्ते में बांधने का नाम दे  ।क्योंकि एक नपुसंक, स्त्री पुरुष किसी के प्यार में नहीं पड़ते हैं  । यदि धोखे से (आकर्षक के कारण)जाग भी जाय तो नपुंसक व्यक्ति को कोई स्वीकार नहीं कर सकता है ।

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यौन भावनाओं के कारण ही किसी की नाक,, किसी के बाल तो किसी के गाल आदि सुन्दर लगते हैं । जिसे ऑंखों से देखकर मानसिक स्पर्श तक सुकून दे सकता है । साथ ही साथ घृणा के भाव भी जगा सकता है । यदि ऑंखों और मानसिक स्पर्श को अटपटा लगे । जिससे कोई कभी भी जुड़ नहीं सकता है । अपनापन के साथ ।

प्रेम की उत्पत्ति यौन भावनाओं के उत्तेजना के साथ ही चरम रूप में दिखाई देते हैं । जहां एक प्रेमी जोड़ी परस्पर प्रेम भरें आलिंगन करते हैं । जिसे जानवरों में भी देखा जा सकता है । चाटना,,दूलार करना आदि क्रियाओं के रूप में । 

क्या यही प्यार है ?

अगर कोई सोचते हैं कि इसे फिर प्यार का नाम क्यों दे तो वो गलत है । जब जरूरत समान है । जिसे परस्पर देना या फिर लेना चाहते हैं । जो हक़ देते हैं एक दूसरे को । अपनापन के साथ,, सम्मान के साथ ।  वहां प्यार है । लेकिन जहां बांटते फिरते हैं बड़ी आसानी से अपने जिस्म को,, वहां वासनाएं हैं । यौन भावनाओं की । वहां प्यार ठहरता नहीं कभी । ध्यान रहे ईश्वरीय आंनद के बाद सबसे उत्तम आंनद है । जिसे दिल में संभाल के रखा जाता है । दिया नहीं जा सकता सबको । केवल विश्वासपात्र को छोड़कर !

समय के साथ इसका खुला रूप सबके सामने आ गया है । जिसे बरसों पहले चुपके-चुपके किया जाता था । आज खुलेआम हो गया है । चुम्बन, आलिंगन, नितम्बों, स्तनों का प्रदर्शन हो रहा है । छोटे बच्चों से लेकर बड़े बुढ़े लोग अब सामान्य गाली गलौज में व्यक्त कर देते हैं । जंगली जीवन जीने के लिए तथाकथित बुद्धिजीवी वर्ग सामने आकर समर्थन कर रहे हैं !!!! 


प्रेम में पड़ा हुआ आदमी

कभी भी

अपनी प्रेमिका के अंतरंग संबंधों को

सार्वजनिक जगहों पर चर्चा नहीं करते हैं

जो चर्चा करते हैं

वो अपनी प्रेमिका या प्रेमी से

प्रेम नहीं करते हैं !!!!

अंतरंग संबंध गुप्त रहे तो

रिश्ते मजबूत बनते हैं

जिसका बाहरी प्रकटीकरण

रिश्तों को मजाक बनाने में

देर नहीं लगते हैं 

जिसे सेक्स रूप में परोसा जाता है

सबके सामने 

जिसका स्वाद सभी लेते हैं

उन्हीं के अंतरंग संबंध की कल्पना करके !!!!!

प्रेम में अभिभूत हो कर 

बनाएं गए शारीरिक संबंध 

प्रेम का सर्वस्व मिलन है

सर्वस्व समर्पण है 

जिसमें कभी

थकान, हताश, विचलन की रेखाएं नहीं उभरती है

जबकि बिना प्रेम के बनाए गए शारीरक संबंध

थकावट, विचलन, नफ़रत के भाव पैदा करती है

जो पूर्ति के पश्चात 

दूरी का कारण बनता है !!!!

खुलापन शरीर के अंगों का प्रदर्शन

एक उत्साह है

जिसमें यौन अंगों को उभारा जाता है

जो आकर्षित करती है

खुद को

गैरों को

उत्साह भरता है 

भले ही गैरों के नजरिए को दोष दें

लेकिन मानसिक स्वाद

कोई भी

एक नज़र से 

आसानी से ले सकता है

एक गैर दूसरे ग़ैर का !!!!

जो पूर्व से जीवन साथी के प्रति

कामुक कल्पनाएं रखता है

वह दिलों में सम्मान नहीं रखता है

अपनी तृप्ति के लिए आक्रमकता लिए

यौन मतलब से जीता और मरता है !!!

ज्यादातर पुरुष की नजरें

एक स्त्री को 

अपनी ही नज़रों से देख पाते हैं

अपने यौन भावनाओं को थोपते हुए

कहीं भी घूरने लगते हैं 

कभी बसों की खिड़कियों से

जाती हुई स्कूल की लड़कियों को

मोटरसाइकिल से जाते समय

घर जाते हुए लड़कियों को 

मस्ती मारते हुए लड़के

एक लड़की के यौन अंगों को

निहारते हुए लड़के !!

पुरूष के समूह द्वारा की गई चर्चाएं

यदि स्त्री आधारित है

(खासकर यौन संबंधों पर)

जब ठहाके लगे

रस टपके

तो समझ लेना

यह उस समूह का नजर नहीं

उस समाज का नजरिया है

जहां स्त्रियां निम्न हैं

पुरुष की नजरों में !!!

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