स्त्री के प्रति पुरुष poem on woman

भले ही आजकल सभ्य समाज में एक स्त्री को सम्मान देने की बातें करते हो ।poem on woman लेकिन उसका स्थान क्या है ? उसकी प्रस्तुतिकरण में दिखाई देता है । छोटे कपड़े पहनने के लिए प्रेरित करना । कलाकार के रूप में शारीरिक स्पर्श करने के लिए प्रेरित करना । आजकल का ढोंग है । जो प्रगतिशील होने का दावा करता है । जिसकी दृष्टि अंत्यंत निंदनीय है । प्रस्तुत है इस पर कविता 👇👇 

poem on woman

एक स्त्री एक पुरुष के प्रति -

 तुम्हारी बातें

कभी-कभी

मुझे अजीब-सी लगती है

जब तुम कहते हो

मैं बेहद खूबसूरत हूॅं

जिससे तुम्हारी नजरें नहीं हटती

और तुम देखते रहते हो मुझे

एकटक,,अनवरत

जबकि मुझे

तेरी इसी नजरों से डर लगता है

तूने मेरी खुबसूरती देखी है

मुझे नहीं 

जिसकी वजह से

तुम शायद ! 

शारीरिक स्पर्श करते हो

आंनद लेते हो

यौन भावनाओं का 

एक जुड़ाव

शारीरिक संबंध का

महसूस करके

रिश्ता बनाने की

कोशिश है तुम्हारी !!!

तुम्हारा सम्मान

उस समय दिख जाता 

जब एक स्त्री के लिए

मुंह से गाली निकलती है

यौन अंगों से संबंध बनाते हुए

तुम्हारे शब्दों में

चाहे पुरुष द्वारा निकले

 या फिर बच्चे, स्त्री द्वारा

असलियत स्थान वही है

भले ही तुम स्त्री दिवस मनाओ !!

तुम्हारी प्रस्तुतीकरण

कलाकार के रूप में

एक स्त्री का श्रृंगार

छोटे कपड़ों से

ताकि पुरुष को जोड़ा जा सके

स्पर्श करते हुए मानसिक स्वाद के लिए

जिसमें ताली बजते हो 

तुम्हारे विचारों का

या फिर मौन ख्याल

एक स्त्री के प्रति

किसी निर्माता द्वारा

एक स्थान है

स्त्री का

जिसमें कितना सम्मान है

एक स्त्री का !!!

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poem on woman


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