पलट कर देखा भी नहीं

 तुमने पुकारा भी नहीं

पलट के देखा भी नहीं

कितनी उम्मीद थी तुझसे

एक नज़र निहारा भी नहीं

मोहब्बत मेरी छूपती नहीं

तेरा दिल धड़का भी नहीं

मेरी उम्मीद ले आई तेरे पास

मगर तुने मुझे समझा भी नहीं


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