poem on personality.
व्यक्तित्व का धनी है वो
जिसने प्रेम से जीना सीख लिया
नफरतों के साए में जिसने
प्रेम का प्याला पी लिया
उदासीनता उसे नहीं घेरती
जिसने अपने काम में प्रेम देख लिया
लोग उलझे हुए हैं नफरतों में
बच के निकल गए वो
जिसने खुद के भीतर प्रेम देख लिया !!!
poem on personality
व्यक्ति के धनी वहीं है आजकल
जो चालाक है आजकल
धन-दौलत जोड़ लेते हैं अपने खाते में
झूठा बेईमान जो हैं आजकल
सच की जरूरत नहीं है
झूठ फैलाते हैं आजकल
चरित्र कौन देखता है साहब
पैसा ही सबकुछ है आजकल !!!!
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---राजकपूर राजपूत''राज''
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