poetry on festivals
मेरे लिए त्यौहार ,,खुशियाँ अपार ।
जो जिम्मेदारी से हमसे दूर हो गए थे ।
मिलते हैं पुराने बिछड़े यार ।
बातें होती है उससे
कभी प्यार कभी तकरार की।
कभी मेरे कभी उसकी
त्यौहार ही है जो
टूटे रिश्तों को जोडते हैं
भूले रिश्तों को जोड़ते हैं ।
जिंदगी के थकावट को कम करते हैं ।
चलो ! दिलों की बातें हम भी करते हैं
मिलकर ऐसा प्रेम दीप जलाते हैं !!!
उसने त्यौहारों की आलोचना की
मैं समझ गया आदमी
व्यक्तिवादी है !!!!
इन्हें भी पढ़ें 👉 व्यक्तित्व के धनी
0 टिप्पणियाँ