जमाने में दर्द बहुत है ghazal on love

ghazal on love

 इतना ही बहुत है

जितना मिला बहुत है

मुझे और क्या चाहिए

तेरा प्यार बहुत है

हवा का रुख मोड़ देता हूॅं

मेरा हौसला बहुत है

मैं भीड़ में भी तन्हा हूॅं

यहॉं मतलब बहुत है

चलो ! रिश्तों को तौलते हैं

नफा-नुकसान बहुत है

वो दिल के करीब नहीं आया

उससे मेरी दूरी बहुत है

जीना है तो हॅंस के जीओ "राज"

जमाने में दर्द बहुत है !!!!

ghazal on love

आसानी से और मुफ्त से 

मिलें चीजों को 

गौर नहीं कर पाते हैं लोग 

कितने निश्चिंत रहते हैं लोग 

सांस लेना 

हमारे द्वारा 

हमारी क्रियाओं में शामिल नहीं था 

वो तो अनायास ही चलती है 

जैसे चलती है 

जन्म के समय 

ठीक वैसे ही 

आज भी चल रही है 

सांसों को कलात्मक रूप से नहीं देखा गया 

जैसे आंखों के लिए 

चश्मा होते 

लोग लेते हैं 

आंखों के लिए नहीं 

अच्छा और सुरक्षित रहने के 

जिव्हा का स्वाद बढ़ा 

लेकिन सांसों का ध्यान 

वहीं तक रहा 

क्योंकि मुफ्त की है  

क्रिया करेंगी ही  !!!!

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---राजकपूर राजपूत''राज''




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