मन बहुत चंचल है । ghazal on lif जो कभी इधर तो कभी उधर भटकता रहता है । जिस पर नियंत्रण नहीं किया गया तो हमेशा भटकता रहता है । अनियंत्रित मन इंसान के अस्तित्व को मिटा देता है । व्यक्तित्व की पहचान धूमिल कर देते हैं ।
ठहरता नहीं मन तो शांति कहां ghazal on lif
ठहरता नहीं मन तो शांति कहॉं
उतरते उछलते हैं जोश तो क्रांति कहॉं
बात खुद्दारी की थी बना न पाए लोग
चंद पैसों में गिर जाय उसकी हस्ती कहॉं
शहर बस गए मगर उदासी हॅंसती रही
अब प्रेम बसें हर घर में ऐसी बस्ती कहॉं
सिमट गई है जिंदगी मोबाइल-कम्प्यूटर में
खो गया बचपन अब दिलों में मस्ती कहॉं
वो मुस्कुराते हैं अपनी चालाकियों से
भावनाएं अब किसी के दिलों में बसती कहां !!!
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