Ghazal on social system_
कोई बताता नहींप्यार जताता नहींएक बार रूठ गयाकोई मनाता नहींफुर्सत नहीं खुद सेइधर-उधर जाता नहींसिमट के रह गया घरों मेंपड़ोसी कौन जानता नहींनजरअंदाज उसका अच्छा हैखुद को जानता नहीं !!!!
बस छोटी सी बात है
लेकिन उस पर भी आघात है
चाहते तो फुर्सत निकाल लेते
उसे रहना है अलग इसलिए मुलाक़ात नहीं
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