शायद Poem - Shayad Hindi

 Poem - Shayad Hindi

शायद !

लोग भूल गए हैं 

अपने विचारों में

एक जिंदगी

एक सुकून का

इसलिए

दौड़ रहे हैं

परेशान होकर

बाजारों में !!!

Poem - Shayad Hindi

शायद !

मुझसे बहुत दूर था

लेकिन मैं प्रेम में था

समझ न पाया

उसके शब्द के भाव

जिसमें अलगाव था

गैरों सा !!!


शायद !

जिसे चाहते हैं

वहीं दूर जाते हैं

पकड़ से

शायद

अब प्रेम में वो ताकत नहीं !!!

शायद ! 

मैं उसकी तलाश में

भटक गया

अपने ही भीतर के प्रेम को

प्रेम समझ बैठा !!!!


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