निर्भरता और विश्वास Idea - Dependence and Trust

   Idea -   Dependence and Trust निर्भरता हमेशा तकलीफ देती है । चाहे किसी रूप में हो । निर्भरता एक बंधन है । जो व्यक्ति को जकड़ा रहता है । पर पल अपने बंधनों में । वो कभी आजाद हो नहीं सकते हैं । स्वतंत्र नहीं हो सकते हैं ।

 Idea -   Dependence and Trust

इसलिए ऐसे निर्भर लोगों पर भरोसा जताना खुद की गवारी होगी । क्योंकि ऐसे व्यक्तियों का हर निर्णय स्वयं के न हो कर किसी दूसरे का होता है । जो जरूरत में फैसला नहीं कर पाते हैं । 

कमजोरियों से निर्भरता 

दूसरों पर निर्भरता स्वयं की कमजोरियों का अहसास है । जिसके कारण हम दूसरे व्यक्ति पर निर्भर हो जाते हैं  । इसी उम्मीद में भरोसा लगाए बैठे रहते हैं कि हमारा साथ देगा । 

जिस पर निर्भर होते हैं । स्वयं से बड़ा हो जाता है । कई विचार, बुद्धि, कई गुण से । जिसे काट पाना मुश्किल है । 

निर्भरता हमारे विचारों को सीमित करती है । जिसके कारण हमारी बुद्धि में फैलाव, या फिर कहे विकसित नहीं हो पाती है । सोच, विचार का स्वरूप उस निर्भर व्यक्ति के विचारों की सहमति तक सीमित होती है  ।

निर्भरता एक विश्वास है । कमजोर व्यक्तियों का । 

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