उसका छोटापन वहीं दिख जाता है

Ghazal - Doglapan hindi 

 उसका छोटापन वहीं दिख जाता है

चंद पैसों के खातिर गिर जाता है

उसका झूठ ही उसकी सहुलियत है

सियासत से विद्वान बन जाता है

नेगलेक्ट करने की आदत खुब चली है

सुविधा में अच्छे लफ्ज़ बोल जाता है

आदमी समझदार जान पड़ता है

मगर आने पर छोड़ जाना है

वो आतंक से चलाते हैं धर्म अपना

हर देश में आतंकवादी छोड़ जाता है

समझते नहीं उसे समझाते नहीं

बहसों में थकान छोड़ जाता है

वो विद्वान बन गए हैं शायद

दूसरों पे दोष छोड़ जाता है !!!

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