Article Words of Wisdom जब खुद का ज्ञान पर इतना भरोसा हो जाए । संसार की बातें छोटी पड़ जाए । जब कोई दूसरों की आस्था, विश्वास, श्रध्दा मानसिक दिवालियापन लगे । और अपने ज्ञान को ज्ञान दूसरों के ज्ञान को ढकोसला महसूस करें । तो ऐसी ज्ञान, ज्ञान नहीं है । अंहकार से उपजी तुच्छता है । जो निरा अहंकारी होकर बोलते हैं । किसी दूसरों पर अपना विचार थोपते हैं । जो कभी किसी को मानसिक शांति नहीं दे सकती हैं ।
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उसका ज्ञान केवल दूसरों की खिल्ली उडा सकते हैं । किसी का सम्मान नहीं कर सकते हैं । उसका ज्ञान सदा दूसरों पर हताशा,, निराशा की भावनाएं भर सकती है लेकिन कभी आत्मिक रूप से संतुष्टि नहीं दे सकती है ।
शिक्षित, वैज्ञानिक दृष्टिकोण केवल एक भ्रम है । जो तर्क करना तो जानते हैं । लेकिन स्थायित्व प्रदान नहीं कर सकते हैं । मानसिक निर्माण परिपक्वता है । जो जिम्मेदारी को समझें न कि जो चाहे, जब चाहे केवल मुंह खोल दें । तर्क कर गंदगी का भी समर्थन कर दें । आतंकवादी को मासूम, भटका हुआ, खास जाति, धर्म का समर्थन करना व्यापक दृष्टिकोण नहीं होकर छोटापन का प्रदर्शन है ।
चुपके-चुपके अपने एजेंडे को स्थापित करना साजिशें रची ढोंग है । जो पूरे समाज को भ्रमित करते हैं । पूरी दुनिया अपने-अपने राष्ट्रीयता की भावनाएं लिए निर्धारित सीमांकन में खुद को बांधे हुए हैं । लेकिन तुम्हें भारतीयता का राष्ट्रवाद संकुचित मानसिकता है । कहकर आलोचना करना दोगलापन है । पूरे विश्व धर्म के खातिर लड़ रहा है लेकिन तुम्हें सनातन का विरोध आधुनिकता का भान होता है । कितना बड़ा ढोंग है ।
जिसमें बेशक कोई सफलता प्राप्त कर लें । लेकिन दुनिया अपना नजरिया नहीं बदल सकते हैं । युद्ध करेंगे । उस लड़ाई में तुम बंट जाना । जिसके प्रति पहले से तुम्हारा हृदय झूके हो । उसके प्रति कह न पाना तथाकथित बुद्धिजीवी ढोंगी है ।
अशांत
लड़ा जा रहा है
युद्ध
शुद्ध नहीं अशुद्ध
आंखों से नहीं
विचारों से
तुम्हारे कल्पनाओं में
भरा जा रहा है
तला जा रहा है
सियासी पंथों द्वारा
राजनीति विचारों द्वारा
सोशल मीडिया के माध्यम से
बहलाया जा रहा है
विश्वास और आस्था
तोड़ा जा रहा है
जिसे पढ़कर छोड़ा जा रहा है
अपना सबकुछ
तुम्हें दे दिया गया है
मोबाइल
भेज रहे
अप्रासंगिक बातें
गैर जरूरी
राय
जिसे देखकर समझकर
ज्ञान
वास्तविक श्रोत
किताबें तुने पढ़ना बंद कर दिया
भ्रम में जीना सीख गया
अशांत !!!!
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राजकपूर राजपूत
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