थोड़ी दूर तो साथ चलो Ghazal with a little Distance

Ghazal with a little D

 थोड़ी दूर तो साथ चलो

हाथों में लेकर हाथ चलो

कुछ बातें हो जाएं मीठी-मीठी

सफर तन्हा न हो जाए साथ चलो

कल का भरोसा किसे है यहॉं

आज अभी तुम मेरे साथ चलो

दो घड़ी की जिंदगी है मेरी

उस मोड़ तक मेरे साथ चलो !!!!

Ghazal with a little Distance

अभी गला कट सकता था 

हालांकि वो मेरा भाई था 

नहीं, नहीं 

भाई के चारे जैसा 

जिसने कहां था मुझे 

बोलो, तर्क करो 

अभिव्यक्ति की आजादी 

तुम्हें भी है 

जैसे मुझे है 

मैं तुझपे सवाल उठा सकता हूं 

तुम मुझमें 

जैसे ही उसने कहा 

मुझे लगा 

मुझे दान दिया है 

ज्ञान दिया है 

मेरे हितेषी बनकर 

लेकिन सीमा भूल गया 

जैसे वो भूल जाती है 

अभिव्यक्ति की 

उसकी भूल छूट 

मेरे गले में लकीर खींच दी 

अभिव्यक्ति और भाईचारे की !!!!

इन्हें भी पढ़ें 👉 कितना अरमान चाहिए 



Reactions

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ