आज वर्तमान समाज
खुद को इस तरह से प्रस्तुत करते हैं कि उसे खुद की गलतियां कभी दिखाई नहीं देती है ।current society essay सभ्यता के मामले में सभी युगों से समझदार जान पड़ते हैं । पुरानी पीढ़ी और पुराने जमाने को आज निरंतर
दोष देते हैं । मानों समझदारी वर्तमान समय के ही श्रेष्ठ है । बाकी विचार दकियानूसी सोच लगता है । वर्तमान को ।
current society essay
की सबसे बड़ी उलझन सत्य की पहचान है । लोग अपनी समझदारी से हर बात को उलझाने में माहिर हैं । जिसमें तर्क करने की क्षमता है । वह सत्य को धूमिल कर सकते हैं । सत्य को इतना परेशान करते हैं कि उसका स्वरूप ही बदल जाता है या फिर कीमत ही कम हो जाती है ।आज के समय में । जिसके कारण सत्य के साथ कोई खड़ा हुआ दिखाई नहीं देता है ।
इसके पीछे का कारण
यह भी है कि हम केवल अपने हितों के प्रति ही समझदार है । जहॉं सामाजिक न्याय की जरूरत होती है वहां हम खुद को अलग कर लेते हैं । जहां उनकी सुविधा है,, वही उसकी दुविधा है । ऐसे लोगों से उम्मीद भी नहीं कर सकते हैं । न जाने कब धोखा दें ।
आज के समय में इनकी संख्या इतनी हो गई है कि समान स्वार्थी लोगों जहां उनके स्वार्थ को चुनौती मिलती है वहां इकट्ठे हो कर समूह बना लेते हैं । इस तरीके से विरोध करते हैं कि मानों सत्य की रक्षा वहीं करते हैं और अपनी तर्क क्षमता,, उलझाने शैली में किसी सत्य को परास्त कर देते हैं । शायद ! इसलिए आज लोग परेशान हैं । किसी पर भी विश्वास नहीं है । न जाने कब कौन धोखा दे जाय ।
इसलिए आज समाज में बहुत कुछ गलत या फिर अपराध हमारे आंखों के सामने होता है । जिसे हम देख कर फिर शायद ! कुछ नहीं कर पाएंगे । क्योंकि जब कोई रिश्वतखोर पैसे मांगते हैं । तो देना ही पड़ता है । उसकी पहुंच और पद एक गरीब आदमी से बड़ा होता है । कभी भी परेशान कर सकता है ।
सही/गलत
रिश्वतखोर खुद जानता है कि वह गलत है । फिर भी करता है क्योंकि उसकी समझदारी ही ऐसी है ,,,वो सबकुछ टेकल कर लेगा । गरीब आदमी कहाँ तक लडेगा और लोग साथ भी नहीं देते । इस मतलबी दुनिया में । क्योंकि व्यक्तिगत जिंदगी है,, सबकी । मतलब देख के ही बोलते हैं । व्यक्तिगत हित के आगे सामाजिक दायित्व हासिए पे है । जहाँ नैतिक जिम्मेदारी का कोई मायने नहीं है ।
मैं निराशावादी नहीं हूँ ,,,फिर भी कह रहा हूँ । क्योंकि आजकल व्यवहार बन गया है । रिश्वतखोरी । चाय-पानी की तरह । जो सत्य है,, जिसमें हमारा सारा समाज खड़ा है । आँखें मुद कर ।
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