बह गए पानी की तरह Ghazal - Poem on Terror

Ghazal - Poem on Terror 

 तू भी हमारी तरह

बह गए पानी की तरह

वो आदमी तुम्हें लूटता है

जिनके इरादे हैं व्यापारी की तरह

बड़ी मुश्किल है जीना यहॉं

जीने नहीं देते आदमी की तरह

दोस्ती-यारी का वादा है

मगर साथ न आए साथी की तरह

लूट लिया सबकुछ मगर

संबंध है अभी भी रिश्तेदारों की तरह

गैरों से बात मनवा लेते हैं 

तथाकथित बुद्धिजीवियों की तरह 

तर्क में उसके फर्क है

भाईचारे सा रिश्ता गला काटने की तरह 

अच्छी बातों को चुन लिया करते हैं

उसके विचार है सियासत की तरह !!!

Ghazal - Poem on Terror 

तुम इस आए अपनो की तरह

मगर तोड़ा दिल गैरों की तरह

बहुत चालाकी है उसके लफ़्ज़ों में

किसी मायावी की तरह

निर्मम तरीके से पेश आए

गला काटा कसाई की तरह

लाख गुनाह छुपा लेते हैं

भोले-भाले लोगों की तरह

अपने आतंक से इतराते हैं

विद्वान भी डरते हैं बुजदिल की तरह !!!!

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