मेरी अनुभूति my feeling my presence poem hindi

जब तक इंसान जिंदा है तब उसकी कीमत है । my feeling my presence Kavita hindi जैसे ही उसकी मृत्यु हो जाती है । उन लोगों की स्मृति में कुछ दिनों तक शामिल रहता है । जिसके जीवन में अक्सर अपनी उपस्थिति दी है । शामिल हुए हैं , सुख-दुख में । जिसका आंकलन वो जीवित इंसान करता है । बाकी लोगों के लिए शून्य है । जैसे कोई हैं ही नहीं । ना था । जो इंसान जितनी मात्रा में अपने समाज और परिवार में अपने कर्तव्यों और मतलब के बीच रहे वहीं उपस्थित उसके कुछ दिनों तक याद किए जाते हैं । इसलिए अपनी उपस्थिति इस ढंग से देनी चाहिए ताकि लोग याद रख सकें । वर्ना आजकल तो लोग यूं लाश बनकर जिंदा है । 

my feeling my presence Kavita hindi 

 मेरा अहसास,, मेरी अनुभूति 

सबकुछ है मेरे लिए जब तक मेरी उपस्थिति 

खड़ा हूॅं जिंदा हूॅं

खुद और सबको अहसास करा सकता हूॅं

तुम सुनो मेरे दिल की

मैं सुनूं तेरे दिल की

मेरी अनुभूति कोई अनुमान नहीं है

जिस पर मुझे गुमान नहीं है

मैं स्पर्श कर सकता हूं

तुम्हें छुकर

प्रमाण देने के लिए

सदा तत्पर हूॅं

मेरी उपस्थिति ही

मेरी अनुभूति है !!!

मेरी अनुभूति मेरा अहसास 

मैं छू सकता हूं

हवाओं को

बाहर भीतर

महसूस कर सकता हूं

बादलों को देख सकता हूं

कब घिरते है

कब बनते हैं

कब पिघलते हैं

आकाश का सुनापन

स्वयं के भीतर

उसके संगीत

उसकी ध्वनि

स्वयं के भीतर सुन सकता हूं

मैं महसूस कर सकता हूं

सृष्टि की हर चीज

जिसे ईश्वर ने बनाया है

मेरे लिए  !!!

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