मेरा प्रेम my love/poem_

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 मेरा प्रेम

मेरी अनुभूति है

जो हर वस्तुओं में

परिलक्षित होती हैं

जिसकी कीमत का

अहसास है मुझे

जिसके भीतर खुद का

अस्तित्व दिखें मुझे

उसकी खुशी उसकी चाहत

मेरी जैसी

उसके रसास्वादन

उसका आनन्द

मेरे भीतर महसूस हुए 

हमेशा मुझे !!

my love/poem_

खाना पीना और खोजना

जागना और सोना

सभी जीव करते हैं बंधु 

बेहतर होता

तू मनुष्य होता

अपनी पूर्णता को पाते

तब मनुष्य बन पाते !!!

---राजकपूर राजपूत''राज''

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