ईश्वर की अनुभूति - संसार नश्वर है !God Realization Articles एक दिन ख़त्म हो जायेगा ! संसार में जितने जीव है सभी को मरना है ! इस धरती पर जितने भी जीवित प्राणी है ! सब प्रकृति द्वारा निर्धारित क्रियाओं को करते है ! बस इंसान ही एक इसी प्राणी है जो अपने सोचने की क्षमताओं के कारण कई सृष्टि का निर्माण कर लेता है ! जो यह भूल जाता है कि उसे भी आखिर एक दिन मरना है ! अपने इसी अहंकार की वजह से भ्रमित रहता है ! जबकि में सोचता हूँ कि -
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कभी कभी सोचता हूँ ? मैं कौन हूँ । जिसका जवाब मुझे आसानी से नहीं मिलते हैं ।मेरे हाथ ,,मेरे पैर, मेरा शरीर । सबकुछ मेरा है । तो मैं कौन हूँ ? इसका जवाब बड़ा कठिन लगता है ।
कभी कभी लगता है । विचारों का पुतला हूँ ।जिसने कुछ भावो को स्वादानुसार ग्रहण किए हुए हूँ ।जिसको मैं प्रेम से या नफरत से देखता हूँ । जो मेरे शरीर के संचालन के लिए आवश्यक है । मेरे बुद्धि अनुसार ।
कभी - कभी सोचता हूँ
कभी कभी सोचता हूँ - आखिर जब मैं सबको ग्रहण करने वाला हूँ तो फिर मैं कौन हूँ ? मेरा अस्तित्व क्या है ? जिस मैं गर्वित हूॅं । मेरी पहचान क्या है ? मूर्त रूप में । जिसे सम्भाल पाऊं मैं ।
तब लगता है मेरे अन्दर कोई ऐसी ऊर्जा है । तत्व है ।जो तटस्थ है ।मेरे भीतर । जो मुझे संचालित करता है । सदैव । मेरी संवेदनशीलता,, मेरी अनुभूति,,,, जिसकी उपस्थिति से ही बनती है । जिसके निकलते ही इंसान अपनी उपस्थिति खो देती है । यही ऊर्जा मेरे लिए ईश्वर है ।
जो मेरे भीतर ढका हुआ है । इन्द्रियों से । जिसके वशीभूत होकर मन, भटकता है । इधर उधर । अनियंत्रित होकर । जिसे पहचान नहीं पाते जीवन भर ।
---राजकपूर राजपूत''राज''
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