कुछ समझ नहीं आता है Poem I don't Understand Anything

Poem I don't Understand Anything 

 कुछ समझ नहीं आता है

ये करोना क्यों नहीं जाता है

दो गज की दूरी है

कैसी जीने की मजबूरी है

वक्त को देखो क्या दिन लाया है

आदमी आदमी को जोड़ नहीं पाया है

विज्ञान की बातों में दभ करते थे इंसान

प्रकृति को छेड़ कर भोग रहे हैं इंसान !!!

Poem I don't Understand Anything

बाघिन ने हिरण का बच्चा पकड़ा

पकड़कर

जीभ से चाटे

उसके कोमल शरीर को

सहलाएं

बिना क्षति के

बच्चा सुरक्षित महसूस किया

जबकि बाघिन

अपने स्वाद के लसलसेपन को

कितना मार्मिक है

हिरण का बच्चा

बाघिन के चाटने को

प्रेम समझ रहा था !!!


प्रेम में पीड़ा है

स्थायित्व के साथ

जो बदलते नहीं

लेकिन जिसे प्रेम है

वह ढूंढ ही लेता है

सुकून

बेशक

देखने वाले कराह उठता है

पीड़ा से

हम न करेंगे प्यार

कहकर छोड़ देता है

प्रेम को

फ़ालतू की चीज समझकर !!!!


जहां समझ नहीं आता

वहीं पर असहज हो जाते हैं

जैसे प्रेम में 

दुनिया का विरोध

सच साबित करते हैं

प्रेम गलत है 

विरोध की संख्या अधिक है

यदि कोई बुद्धिमान है

प्रेम नहीं कर पाएगा

प्रेम दो चीजों के बीच का रिश्ता है

न की दुनिया का !!!

इन्हें भी पढ़ें 👉 धर्म और विज्ञान 



Reactions

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ