poetry of Life
जो स्थापित है
समाज में
जैसे-फिल्मी हीरो-हीरोइन
कोई राजनेता
कोई राजनेत्री
कोई बुद्धजीवी
अपने विवादित बयान में
कोई न्यूज़ चैनल
जिसकी लम्बी फालोंइग लिस्ट है
वहीं अक्सर
उंगलियॉं उठाते हैं
किसी की आस्था पर
किसी के विश्वास पर
जिसने अपनी सफलता के लिए
कोई आदर्श मापदंड प्रस्तुत नहीं किए
अपनी सफलता की प्राप्ति के बाद
सामान्य जनता के बीच
अपने ज्ञान को
इस तरह परोसते हैं
मानों वो सब जानते हैं
उसकी बातों को सारी दुनिया माने
अब जिसके विचार शुन्य है
वे जरूर ताली बजाएंगे
उसकी हर बोली में
जो शर्म की बात है !!
poetry of Life
कला में भी चतुराई
को लेकर आ जाना है
कला की वास्तविकता, मौलिकताओं को
खो जाना है
किसी गुप्त एजेंडे की तरह
कला उपयोग करना है
जो कोई कला की निशानी नहीं है !!!
---राजकपूर राजपूत''राज''
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