Poem Our Existence
जब हम किसी के विचारों को सुनते हैं ।
उसके विचारों में खो जाते हैं
हमारे चिंतन मनन उसके विचारों में
सत्यता की तलाश करते हैं
उस वक्त हम परिवर्तन होने लगते हैं
उसके विचारों में
और हमारी मौलिक सोच क्षीण हो जाती है
उसके विचारों की सत्यता खोजने में
हमारे सोचने का तरीका
हमारे देखने का तरीका
उस विचार के अनुकूल हो जाते हैं
जो सामने वाले चाहते हैं
उसके सवाल को सत्य मानते हैं
उस वक्त हमारा मन
हमसे संचालित न होकर
किसी दूसरे के द्वारा संचालित होती है
और हमारा अस्तित्व समाप्त हो जाते हैं !!!
Poem Our Existence
हमारा अस्तित्व
हमारे फैसलों पर निर्भर है
जितने मजबूत होंगे
उतना उभरेगा
जितना कमजोर
उतनी ही कमजोर उपस्थिति
दुनिया के सामने
इसलिए फैसलों को मजबूत रखिए
जिसमें समझ भरिए !!!!
उपहास उड़ाकर
तुम्हें टिकने नहीं दिया
सियासत में माहिर
गिरने में ज़ाहिर
कभी अपनी गलतियों को स्वीकारा नहीं
तुमने आत्मचिंतन किया
इतना देखकर
उसने तुम्हारे अस्तित्व पर सवाल खड़े किए
और तुमने अपनी पहचान
उसके अनुसार देने लगे
अपना अस्तित्व मिटा कर !!!!!
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_राजकपूर राजपूत
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