आपने स्वीकृति दी है

Tumhari svikriti Kavita 

आपने स्वीकृति दी है
जो सिद्धांत में नहीं है

जिसे जानते हैं आप
लेकिन मानते नहीं हैं आप

कई सिद्धांतों को जीवन में
कभी डालते नहीं पहचान में

क्योंकि उसमें सुविधा नहीं है
इसलिए रूचि ज्यादा नहीं है

तुम बहस के काबिल नहीं हो
तर्क चाहे कितने सही हो

तुममें नग्नता आज भी है
वहीं मुर्खता आज भी है

अभी तुम लायक नहीं बने हो
भले ही शिक्षा की बातें करते हो

तथाकथित बुद्धिजीवी होना आम है
सोशल मीडिया पर व्यस्त और क्या काम है

तुम्हारे ज्ञान तुम्हें मुबारक हो
जिसकी जैसी नीयत शामिल हो

एक तरफ संविधान की दुहाई
फिर मुर्खता क्यों आई

एक ग़लती को तरह से बोलते हो
अपनी ग़लती को दूसरों पर तौलते हो

क्यों तुम्हें शर्म नहीं आया है 
शिक्षित होने पर भी संस्कार नहीं पाया है

कहां की बातें कहां जोड़ देते हैं
समझौते के रिश्तों से तलाक जोड़ देते हो

तुम्हारी समझदारी अजीब है
प्यार की बातें जो विचार के करीब है 

ऐसा ज्ञान हमें नहीं चाहिए
तेरा दोगलापन हमें नहीं चाहिए !!!
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