Sham-ki-surmai-ujale-main- शाम की सुरमई उजाले में - हर तलाश के बाद पक्षी अपने घर की ओर उड़ आते हैं । यही सोच कर कल फिर तलाश होगी । इसी तलाश की खोज करने के बाद जो तन टूटता है । मन थकता है । उसकी हताशा अपने परिवार की खुशियां देखकर दूर हो जाती है । और फिर नई उड़ान के लिए तैयार हो जाती है । पढ़िए कविता हिन्दी में 👇👇
Sham-ki-surmai-ujale-main-
शाम के सुरमई उजाले में
पंक्षी उड़ आए अपने घोंसले में
थकान मिट गई है बदन की
खुशी देख अपने बच्चों की आंखों में
अब रात गुजरेगी सुकून भरी
कल फिर तलाश होगी धूप- छांव में
इतना तो मिल जाता है दाना
प्रभु कृपा, दया के विश्वास में !!!
घोंसला
घास फूस का बेशक बना हो
जिंदगी की
शाम को आराम और सुबह तलाश हो
घोंसला
वह जगह है
दो दिलों के प्यार से बना है
पूरी जिंदगी
गुजरने के लिए सजा है !!
दीए जलाकर
ताकने लगे
घर की चौखट
देहरी द्वार
घर सुना
उसके बिना
जो गए हैं
घर की खुशियां खरीदने
उसके बिना अलसाई घर
आने के स्वागत में
टिमटिमा रहा है
एक दीया
चौखट पर !!!!
एक दीया जल ही गया
टिमटिमाते हुए
रौशनी छाई
घर आंगन
तुम्हारे आने से
जो सुबह निकल गए थे
दाने की तलाश में !!!!
शाम की सुरमई उजाले में
लौट आएं चिड़िया घोंसले में !!!!
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