एक बार खुद से पूछो

एक बार खुद से पूछो 


एक बार खुद से पूछो
खुद की अहमियत
जमाने में क्या है
तू एक परिधि में सिमटी
तेरी दुनिया क्या है
जिंदगी छोटी सी है
जो बीत रही है धीरे-धीरे
मुट्ठी में बंधी हुई जो
फिसल रही है धीरे-धीरे
जमाने में तेरी हैसियत क्या है
एक बार खुद के अंदर झांक लो
धरती अम्बर नाप लो
एक दिन मरना है ये जान लो
आदमी की जात है पहचान लो
असंख्य जीवों के बीच में
तेरी कीमत क्या है
खाना पीना और खोजना
सभी जीवों का उद्देश्य है
मगर तू इंसान है
तेरा क्या ध्येय है
इंसान हो तो
इंसानों सा जीवन हो
ये जान लो
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-राजकपूर राजपूत''राज''
एक बार पूछो


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