कई सावन भादों गुजरे कई जेठ गए Rainy Season Poem Hindi

Rainy Season Poem Hindi 
कहॉं की बात लेकर बैठ गए
जितना समझाया उतना ही ऐंठ गए

जो गुजर गई बातें भला छोड़ो यारों
कई सावन भादों गुजरे, कई जेठ गए
सावन में
मैंने बादल नहीं देखा
देखा तो मिश्रित
धूएं और नमी का अंबार
जो यह नहीं जान पाया
उड़ना कहां है
रूकना कहां है
और मज़ेदार बात ये है कि
बादल भी नहीं जानता है कि
उसका निर्माण क्या है
इसलिए बरस जाता है
जहां कहीं 
बेवजह !!!!

Rainy Season Poem Hindi


कांक्रीट का खिंचाव
अधिक है आजकल
उपजाऊ भूमि की अपेक्षा
बरसते हैं बादल
जहां कांक्रीट है !!!


बादल उमड़ते होंगे
हरियाली तलाशते होंगे
नहीं मिली हरियाली
कहीं कम कहीं ज्यादा
इसलिए बरसते होंगे !!!

सावन जाने या ना जाने
मगर तुम बरस जाना
बिन मौसम
जैसा कि आजकल होता है
तपती जमीं
खिंच लेती है
बादल की नमी
अपनी मर्ज़ी से !!!!

मौसम विज्ञान का कहना है
बादल नहीं बरसेंगे
जैसे आजकल प्रेम नहीं मिलते हैं
आसानी से
अनिश्चितता है
मौसम में
और जीवन में
तुम झुठला देना
बाकियों की परवाह नहीं
तुम बरस जाना
मेरे हिस्से में
प्रेम बनकर !!!!

सावन भी आया ऐसे 
बिन बादल, बिन बरषा जैसे 
सावन में भीगना भी अच्छा है 
लेकिन सावन कब बरसें ऐसे !!!!
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