दुनिया के लिए नहीं अपने लिए
एक बदलाव जरूरी है जीने के लिए
न प्रमाण मांग तू दुनिया से कभी
जिंदगी अपनी है जीए अपने लिए
अपने लिए तो हर कोई जीता है
मतलब बिना कौन यहां जीता है
जो तुम किसी को वादा किए हो
भरोसा अपने मतलब तक किया जाता है
बड़ी - बड़ी बाते आजकल चलन पे है
लोग दिखावा करके फारवर्ड कर दिया जाता है
रखेंगे वहीं जो सीधा-साधा है
होशियार तो नेगलेक्ट कर जाता है !!!
सियासत नेता नहीं करते हैं
मजहबी लोग भी बेहतर कर जाते हैं
लाचारी, बेबसी, पीड़ित, शोषित कोई नहीं है
मौक़ा मिले तो पीड़ित को शोषण कर जाते हैं !!!
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