Poem on Abuse गाली - गुस्से के साथ निकलने वाली बोली है । जो सामने वाले को कमजोर करने तथा अपनी क्षमताओं को प्रगट करने के लिए दी जाती है । जिसे सुन सामने वाले थक सकता है । या फिर बलशाली उसी प्रत्युत्तर में कह सकते हैं ।
Poem on Abuse
जब भी
गाली मुंह से निकलेंगे
तो समझ लेना-
जब भी
गाली मुंह से निकलेंगे
तो समझ लेना-
नफ़रत और गुस्सा
चरम पर है
जितना हो सके
वो अपशब्द कहेंगे
और उसे
मानसिक संतुष्टि मिलेगी
मन भर
इसलिए
मुंह से गाली निकलेगी
उनके अपशब्दों में
तुम्हारे अपने होंगे
और तुम्हें तकलीफ़ मिलें
यही उसकी चाहत होगी
क्योंकि वो जानता है
प्रेम रिश्तों के
जैसे तुम्हारे अपने हैं
वैसे उनके
उसे भी महसूस है
इंसान बस भूल जाता है
अपने और पराए के अंतर में
इसलिए गाली देता है
हर रिश्तों को
क्योंकि उनकी अहमियत शायद
(उसकी नज़रों में)
सभी रिश्तों से बड़े हैं !!!
Poem on Abuse
मुझे लगा वो विद्वान है
जैसी उसकी बातें थीं
समझदार है
लेकिन
नहीं
उसने विचार रखा था
बहलाने के लिए
अपने एजेंडे के लिए
सिर्फ चतुराई से
बातें रखीं थीं !!!
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