तुष्टिकरण और चापलूसी tushtikarn-aur-chaplusi

tushtikarn-aur-chaplusi-कुछ लोग स्वयं को इतना बड़ा नालायक बना लेता है कि दूसरों व्यक्ति उसकी प्रवृत्ति को जानकर उसके अनुकूल व्यवहार करें । ऐसे ही दो लोग हैं इस दुनिया में  । जिसे खुश करने के लिए बहुत समझदारी और सावधानी का ख्याल रखा जाता है । जिसको तुष्टिकरण का नाम देते हैं । ज्यादातर ऐसे लोग मुर्ख प्रवृत्ति के होते हैं । जो अपनी आदतों को सुधारते नहीं है । बल्कि सामने वाले उसकी आदत से ही उसे फायदा पहुंचाएं । यही मानसिकता मुर्खों को बढ़ावा देती है । 


tushtikarn-aur-chaplusi


तुष्टिकरण और चापलूसी 
एक ही है
फर्क है सिर्फ इतना कि
एक में खुश करके छोड़ देते हैं
और देखते हैं कि
खुश हुआ कि नहीं
खुश नहीं हुआ तो
खुश न करने के
कारणों को
समझा देते हैं
या अपनी मजबूरी को
बता देते हैं
जिसे आपके मालिक
समझ जाते हैं
जबकि दूसरे में
जिंदगी भर 
मालिक मानकर
जी-हूजुरी करते हैं
गुलामों की तरह
जब मालिक
तुम्हारे दुम हिलाने से
खुश हो जाते हैं
तो कुछ
रोटी का टुकड़ा 
फेंक जाते हैं
जिसे उठाने में
बहुत खुश हो जाते हैं
चापलूस लोग !!

kavita-hindi


तुष्टिकरण में ध्यान रखा जाता है
ज्ञान रखा जाता है
मुर्खों के सटकने की प्रवृत्ति को 
भड़कने की वृत्ति को
उसके बाद व्यवहार किया जाता है
उसकी प्रवृत्ति को जानकर
जबकि चापलूसों का सम्मान
उसका अपमान
का ध्यान नहीं रखा जाता है
बस इतना याद रखा जाता है
उसे रोटी का टुकड़ा मिलते रहे !!!


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