Jal-hi-jivan-hai kavita
धरती की प्यास तो जल है
इसके बिना न आज और कल है
सम्हालो इसको इस धरा पर
ये जीवन में सॉंसों-सा अनमोल है
इसके बिना जीना है मुश्किल
ये है तो एक एक पल है !!
जल
आज और कल
जीने का आधार
इसके बिना
निर्थक ये संसार !!
Jal-hi-jivan-hai kavita
प्यास भूख से बड़ी है
जल है तो जिंदगी खड़ी है !!!
तन की शीतलता
मन की तृप्ति
इसके बिना
आत्मा को शांति न मिलती है !!
सहज उपलब्ध होना
अपनी कीमत खोनी है
ऐसे ही हमारे पानी है !!!
जीवन ही जल है
सत्तर फीसदी हिस्से का फल है
इसके बिना तो
जीवन ही निष्फल है !!
भीषण गर्मी आईं तो याद आया
वृक्षारोपण याद आया
जब बादल बरसेंगे
तो भूल जाएंगे
पानी की कीमत !!!
बह रहा है जल
आज और कल
लेकिन बरसों की बातों पे
बचेगा या नहीं
यकीं नहीं एक पल !!!
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