Amaratv ko pane ke liye
शिवत्व को जगाने के लिए
अमरत्व को पाने के लिए
आपको कहीं नहीं जाना है
स्वयं के भीतर ही पाना है
जैसे मन में समा जाते हैं
मेरा है कहके भ्रम आ जाते हैं
ये सूरज-चॉंद ये धरती-गगन
ये घर -परिवार ये तन-मन-धन
मैं चाहता हूॅं ढ़ूॅंढ ले मेरा मन
अपना सर्वस्व कर दें अर्पण
हृदय के अंतःस्थल में छुपा कौन है
मेरा तन मेरा धन कहता कौन है
सृष्टि के आरम्भ करके भी मौन है
जिसके निकलते ही शरीर गौण है
जिसके ऊर्जा के प्रवाह से गतिशील है
ये जीव, पेड़ पौधे, नदी, पहाड़, झील है
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Su6
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