gauraiya par Kavita Hindi main
चुपचाप चली गई
गौरैया
मेरे ऑंगन से
बिना आहट के
जो फूदकती थी
मेरे ऑंगन में
घर के तन्हाई में
रस घोलती थी
अपने जोड़े के साथ
शाम को
जाम के पेड़ों पर
जिसका बसेरा था
जो चहचहाते थे
तो लगता था
दिन भर का
थकान मिट चुके हैं
जो जीना सिखाते थे
अपने के साथ
कैसे रहा जाता है !!!!
gauraiya par Kavita Hindi main
फुदकते रहे
सुबह से
एक जोड़ी गौरैया
घर उसका नहीं था
आए और गाना गाया
नाच और चलें गए
पराएं की तरह !!!!
हमने उसको जगह नहीं दी
उसके पेड़ काटे
मतलब और उपयोगी
सभी
फिर भी गौरैया आती है
फुदक कर चली जाती है
जबकि
हमें उसके घर का पता नहीं
हमारे घर का पता जानती है
इसलिए चली आती है !!!!
हमने उसे दिया
गौरैया दिवस
अब दिवस है
गौरैया नहीं
कहां जा रहे हैं
हमने सोचा नहीं
बस इंतजार कर रहे हैं
गौरैया का संरक्षण का
दिन बीता
दिवस गौरैया का पूर्ण हुआ
इस तरह
दिवस मनाकर हम संतुष्ट हुए !!!!
0 टिप्पणियाँ