Kuch-tarkon-main
रूपांतरित हो जाता है हृदय
कुछ तर्को से
दिमाग के अनुकूल
जब उसे तर्को से
तोड़ा जाता है
धीरे-धीरे
दया, प्रेम
करूणा, अनुराग
सूख जाते हैं
हृदय से
परिवर्तित हो जाते हैं
देख-देख
जमाने के
व्यवहारों को
आत्मसात करने लगते हैं
हृदय
नफ़रत,, लालच
ईर्ष्या -द्वेष को
खुद के भीतर
देख-देख
जमाने की सफलता को
लालायित हो जाते हैं
अपनाने के लिए
हृदय,,,
उस समय ठहरती नहीं है
कोई आस्था
हृदय में
शंका घर कर जाती है
मन में
जिससे सचेत रहते हैं
हमारा दिमाग
समझाने के लिए
कई तर्को के साथ
मतलब निकालने में !!!
Kuch-tarkon-main
Tark-usake
उसके तर्कों में दम नहीं था
बस बोलना आ गया यही कम नहीं था
वह बेवकूफ ही सही मगर बोलने के सलीके हैं
समझदारों का चुप रहना कम नहीं था
एक दिन चलने लगी उसकी बातें
अनदेखा किया उसको समझदार कम नहीं था
लोग अब उससे पुछते हैं आजकल के व्यवहार
सिस्टम को समझता है सियासत में ग्वार कम नहीं था !!
उसकी परवाह नहीं किया जाता है
जो दुनिया की परवाह करते हैं
छोड़ दिया जाता है
एक कोने में
उपेक्षित किया जाता है
परवाह उसकी की जाती है
जो अपने सम्मान के लिए लड़ते हैं
भले ही गलत हो
या सही !!!!
---राजकपूर राजपूत''राज''
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