यही सुनहरा मौका है

यही सुनहरा मौका है
चुके तो फिर धोखा है

उतार दो कश्ती अपनी
किसने तुम्हें रोका है

झूका लो आसमान को
पंक्षी को किसने टोका है

कर गुजर जा कुछ ऐसा
तू तो आंधियों का झोंका है

सागर के सफर के लिए क्या चाहिए
एक तू, पतवार और नौका है

-राजकपूर राजपूत''राज''

यही सुनहरा मौका है




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