Udasi Kavita Hindi
उसकी उदासियों का
कारण यही था
किसी को कह नहीं सके थे
सच गलत
जो ऑंखों के सामने थे
लोगों ने पर्दे डालना
सीख गए थे
हर झूठ के ऊपर
सच का
अपनी ताकत
और बुद्धिमत्ता से
जिसे बेपर्दा करना
मुश्किल था !!!
Udasi Kavita Hindi
इस जमाने में
बदलते हुए बहुत देखा है
इंसानों को
जितने बदलते नहीं हैं
मौसम
रंग बदलते नहीं
गिरगिट
जिसने सदा दावा किया
न बदलने का
उसने ही
थोड़े से मतलब पे
बदल देते हैं
अपना इमान
नीयत साफ
चरित्र, विचार
इसलिए
भरोसा अब नहीं होता है
किसी पर !!!!
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बदले तो बहुत कुछ बदलें
इरादे बदलें
तो नीयत बदली
नीयत बदली
तो
रिश्ते-नाते बदलें
जो मतलब तक आकर
सीमित हो गई
अब देखना है
मतलब कब तक पूरा होता है
तब तक रिश्ते में होता है !!!!
उदासी में ताज़गी आएगी
मतलब की तलाश आएगी !!!
---राजकपूर राजपूत''राज''
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