I Searched a Lot but I Pound the poem
नहीं वो तुम नहीं थे
ढूंढ़ा बहुत
मगर तुम नहीं थे
मैं गया था वहॉं
जहॉं मिले थे कभी
वो नदी किनारे
वो बाग-बगीचें
वो चॉंद सितारे
सभी जगह
और शायद !
मेरी ऑंखों की
गलतफहमी थी
मेरी सॉंसों में
तेरी खुशबू आ रही थी
और मैं महसूस कर रहा था
तुम्हें अपने आसपास
लेकिन तुम नहीं थे !!!
I Searched a Lot but I Pound the poem
हम कितने समझदार है
उन लोगों के प्रति
जिसके लिए बोलना था
कुछ
लेकिन बोले नहीं
और अभद्रता पूर्ण बातें करते रहे
वो
लेकिन हमने अनसुनी की
यही कहकर
वो बुरे हैं
उसके मुंह नहीं लगते हैं
निकल गए
चुपचाप
और वो दोहराते रहे
अपनी आदतों को
बाद में पता चला
गांव वालों ने
उसे प्रभावशाली समझकर
सरपंच प्रत्याशी बना दिया !!!!
इन्हें भी पढ़ें 👉 तेरी नज़रें
0 टिप्पणियाँ