पेड़ हर जगह उग आते हैं ।ped aur insaan Kavita Hindi बेवजह बिन कहे । जिसकी जतन नहीं होती । फिर भी तैयार हो जाता है । लोग उसके पेड़ बनने तक कीमत नहीं लगा पाते हैं । जबकि उस पेड़ को रोपित करते हैं । तो उसकी क़ीमत जानते हैं । जतन भी करते हैं । तब तक जब तक उपयोग लायक़ नहीं हो जाय । उसके बाद काट देते हैं । पढ़िए इस पर कविता 👇👇
ped aur insaan Kavita Hindi
पेड़
चुपचाप खड़े रहते हैं
उगे रहते हैं
अनायास
जिस पर ध्यान नहीं जाता है
किसी का
हॉं, थके हुए आदमी
आराम कर लेता है
कुछ पल
अपने सवालों के
जवाब ढूॅंढता है
कभी-कभी भीड़
बैठ के बतियाते हैं
घर की समस्यों को
बस्ती की परेशानी को
और चले जाते हैं
कुछ देर बैठकर
भीड़
और पेड़
खड़ा रह जाता है
अकेले
कभी-कभी
बच्चें खेलते हैं
उसकी छाव में
पदते और पदाते हैं
अपने-अपने दांव में
मन भर जाने के बाद
चले आते हैं
अपने घर में
और पेड़
खड़ा रह जाता है
अकेले में
जब जिसकी जरूरत होती है
जिस रूप में होती है
उपयोग करते हैं
पेड़ का
हॉं , जब कोई काट देते हैं
अपनी जरूरत में
उस पल लगता है
कुछ खालीपन है
उस जगह में
जो कुछ दिनों तक लगता है
क्योंकि इंसान अभ्यस्त है
भूलने में !!!!
खड़े पेड़ को जब काट देता है
खाली जगह से पाट देता है
अब बरसों लगेंगे
जगह को भरने
तब तक खाली जगह
डसेंगे
अपने खालीपन से !!!
पौधा खड़ा हो जाता है
अकेले
अनायास
उसके बड़े होने तक
ध्यान नहीं जाता है किसी का
जब बड़ा हो जाता है
लोग सोचते हैं
क्या बनाया जा इस लकड़ी का ?
ललचाईं आंखें
अंदाजा लगाने लगते हैं !!!
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