सोचते ही रह जाते हैं
कुछ बातें समझ नहीं पाते हैं
हर लफ़्ज़ों के मायने अनेक
लोग अपने लिए आजमाते हैं
कोई बुरा नहीं कोई अच्छा नहीं
सहूलियत में सबको भाते हैं
खुद को अक्लमंद समझते हैं जो
चालाकियों से दिल तोड़ जाते हैं
हर तलाश में कमी सी लगती है
बेवजह दौड़ने से चेहरे सूख जाते हैं
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