Nights in Love P
अक्सर चॉंद सो जाता है
अपने सफ़र के बाद
सारी रात जागती है मेरी ऑंखें
उसके सफर से पहले
और सफर के बाद !!!
दिन गुज़रा नहीं था
और तेरी याद गुजरने लगी
मेरे ज़ेहन में
भीड़ सभी चली गईं
विश्राम के लिए
और मैं तेरे ख्यालों के सहारे
गुफ्तगू की
रात-भर
दिन ढल जाने के बाद !!!
Nights in Love Poem
रात अंधेरे में
सहसा
सुनापन ग़ायब हो गया
तुम जो आ गए
ख्यालों में
अंधेरे को चीर कर
हू-ब-हू तुम उपस्थित
मुझसे बात करते हुए
निस्तब्ध
मैं सुनता रहा
तुम्हारी बातें
जैसे तुमने
मेरी हर परेशानी सुनी
और मरहम लगाते हुए
मुझे गहरी नींद में
विश्राम दिया
तुम्हारा प्रेम !!!!
रात झींगुरों ने आवाज दी
घंटे भर के लिए नहीं
रात-भर
जिसे कोई सुना नहीं
और पुकारता रहा
रात-भर
रात्रि अपने विश्राम पर थी
दिन के उजाले में
चिड़िया चहकती है
मगर अदना सा जीव
जिरजिराहट से
किसे पुकारा
और सोया हुआ आदमी
रात-भर नकारा !!!!
सामने से गुजरा तो
चमक गई धरती
सूरज के सीध में आने से
धरती जो घुम गई
तो रात की उदासी
घिर गई
ऐसे ही था धरती का जीवन
सुख-दुख जैसे
आते जाते रहे
दिन रात !!!
इन्हें भी पढ़ें 👉 मेरी तड़प
0 टिप्पणियाँ