meri-tadap
मेरी तड़प उसी में थी
जहॉ॑ तेरी यादें थी
ढूॅ॑ढ़ा तुझे हर जगह
लेकिन तू मेरे दिल में थी
मेरी तड़प अधूरी रही
तेरी सीने में मोहब्बत नहीं रही
तू मेरे प्यार का सहारा नहीं हो
तेरे सीने में मेरे लिए तड़प नहीं रही !!!
मेरे दिल में उसके लिए तड़प उठ रही थी
जिसके सीने में मोहब्बत नहीं थी
मेरी चाहत ही कुछ ऐसी थी
उसे मेरी तड़प नहीं दिखी थी !!!
tadap-meri
ये मोहब्बत भी क्या चीज है
एक बार लगी
समझाने से भी न समझी !!
ये तड़प भी क्या चीज है
एक बार शुरू
नहीं खत्म होने की चीज़ थी !!!
तड़प न होती
मोहब्बत न होती
नाराज़ हो जाता हूं
अगर ये मोहब्बत न होती
जितना तुम ख्यालों में आते हो
तेरी उपस्थिति मेरे सामने न होती
हंस कर जलाने वाले
ऐसी दुनिया मेरी न होती !!!
मेरी तड़प
गलत लोगों से
उम्मीद कर बैठीं
हृदय तोड़कर
एक कोने में बैठी
अब पछताने से क्या होगा
जब उसने मेरी मोहब्बत नहीं समझी !!!
प्रेम अपना-अपना
लेकिन राग अलग-अलग
चाहत की भिन्नताएं
गतिरोध लें आईं
वैचारिक और शारीरिक
परिभाषाएं नई-नई
तर्क नया
सवाल नया
अब शर्त है
प्रेम की
दिल में है
या दिमाग में
स्वाद में या करूणा में
तुम्हें गला काटना भी मौलिकता लगती है
मुझे उसे देखना
गला काटते हुए
मेरा प्रेम
उस तड़पते जानवर को
रेतते छूरे को
मुझपे घोंपा है
क्योंकि जानवर
मेरे जैसे रोया है !!!!
इन्हें भी पढ़ें 👉 बिरहा की रातें
0 टिप्पणियाँ