वो महफिलें नहीं रही ghazal on heart in hindi

ghazal on heart in hindi 


न वो दिल रहा न वो जज़्बात रहा
अब टच की जिंदगी है टच ही रहा

महबूब की गलियॉं सुनी-सुनी है
न कोई दीवानी रही न कोई दीवाना रहा

उसकी मुस्कराहट बताती है कि
उसकी सियासत में ईमान ना रहा 

सावधानी लिखी है हर नशे की चीजों में
पीते हैं फिर भी परवाह ना रहा 

कल तलक जो अपने अच्छे थे
अब मतलब ना रहा अपना ना रहा

सबूत, गवाही, दलील भी दी उसने
उसकी जिद के आगे ध्यान ना रहा

ठोकरें खाने के बाद सबक ली उसने
इतने दिनों तक ज्ञान ना रहा

हम कल भी अच्छे थे आज भी अच्छे हैं
कोई अपना ना रहा कोई बेगाना ना रहा !!! 

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